इसरो के नए थ्रस्टर से संचार उपग्रहों की क्षमता में होगा इजाफा.

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उपग्रह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने घोषणा की है कि नए थ्रस्टर की तकनीक के शामिल होने से संचार उपग्रहों की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इन थ्रस्टरों के कारण उपग्रहों में ईंधन की खपत कम होगी और ‘ट्रांसपोंडर’ क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

क्या हैं ये नए थ्रस्टर?

इसरो ने बताया कि ये थ्रस्टर अत्याधुनिक प्रणोदन प्रणाली पर आधारित हैं, जो उपग्रहों को कक्षा में स्थिर रखने और उनके जीवनकाल को बढ़ाने में सहायक होंगे। पारंपरिक रासायनिक प्रणोदन प्रणालियों की तुलना में ये थ्रस्टर अधिक ऊर्जा-कुशल हैं और लंबी अवधि तक उपग्रहों को संचालित रखने में मदद करेंगे।

कैसे होगी बचत?

नए थ्रस्टर के कारण ईंधन की खपत में भारी कमी आएगी। आमतौर पर संचार उपग्रहों को अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए नियमित रूप से थ्रस्टर का उपयोग करना पड़ता है, जिससे उनका ईंधन धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। इसरो के अनुसार, नई तकनीक अपनाने से उपग्रहों का वजन कम होगा और उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी, जिससे प्रक्षेपण लागत में भी कमी आएगी।

ट्रांसपोंडर क्षमता में वृद्धि

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि जब उपग्रहों में ईंधन की खपत कम होगी, तो अतिरिक्त स्थान और ऊर्जा का उपयोग ट्रांसपोंडर की संख्या बढ़ाने के लिए किया जा सकेगा। ट्रांसपोंडर, उपग्रह संचार का एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं, जो सिग्नल को रिसीव और ट्रांसमिट करने का कार्य करते हैं। अधिक ट्रांसपोंडर का मतलब है बेहतर संचार सेवाएं, जो दूरसंचार, ब्रॉडकास्टिंग और इंटरनेट सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाएंगी।

अंतरिक्ष मिशनों में नई क्रांति

इसरो के इस कदम से न केवल भारत के संचार उपग्रहों की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि भविष्य में गहरे अंतरिक्ष मिशनों में भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक अंतरिक्ष में दीर्घकालिक अभियानों के लिए भी बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।

आने वाले मिशनों में होगा उपयोग

इसरो ने संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में लॉन्च होने वाले संचार उपग्रहों में इन थ्रस्टरों को शामिल किया जाएगा। इससे भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी को एक नई दिशा मिलेगी और वैश्विक स्तर पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की मजबूती बढ़ेगी।

इसरो का यह कदम अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं को दर्शाता है और आने वाले समय में संचार और प्रसारण सेवाओं को और अधिक सशक्त बनाएगा।

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