एक और युवती ने जिंदगी छोड़ी, समाज क्यों चुप है.

रामगढ़ में 18 वर्षीय पार्वती की आत्महत्या केवल एक समाचार नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। एक युवती जो सपनों के साथ जी रही थी, उसने एक पल में जीवन को समाप्त करने का निर्णय क्यों लिया? क्या समाज, परिवार या व्यवस्था उसे समझ नहीं पाई?

पार्वती के माता-पिता मेहनत मजदूरी कर रहे थे और भविष्य में अपनी बेटी की बेहतर जिंदगी देखना चाहते थे, लेकिन आज वही बेटी मौन है। पुलिस जांच कर रही है, लेकिन असली सवाल है—किस बात ने उसे इतना मजबूर किया?

मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर विषय है, परंतु अभी भी इसे शर्म और डर की नजर से देखा जाता है। पार्वती की मौत केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि संदेश है कि अब जागने का समय है।

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