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- कर्नाटक सरकार ने प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं को लागू करने का फैसला किया है।
- इस उद्देश्य से एक अध्यादेश (Ordinance) लाकर संबंधित बिल को लागू किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया।
- इसके तहत “कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) विधेयक” को लागू किया जाएगा।
- इस कानून के माध्यम से राज्य में गिग वर्कर्स के लिए एक कल्याण बोर्ड गठित किया जाएगा।
- यह बोर्ड गिग वर्कर्स के लिए विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाएं शुरू करेगा।
- इस बिल के तहत प्लेटफॉर्म कंपनियों से प्रत्येक लेन-देन पर 1 से 5 प्रतिशत तक का वेलफेयर शुल्क वसूला जाएगा।
- वसूली गई राशि को गिग वर्कर्स की भलाई के लिए उपयोग किया जाएगा।
- अनुमान के अनुसार, कर्नाटक में लगभग 2.3 लाख गिग वर्कर्स हैं।
- इनमें फूड डिलीवरी, कैब सेवा, कूरियर, और अन्य ऑनलाइन सेवा प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले शामिल हैं।
- कर्नाटक ऐसा कानून लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है।
- राजस्थान में भी पहले ऐसा कानून पास हुआ था, लेकिन सरकार बदलने के बाद लागू नहीं हो सका।
- सरकार का उद्देश्य गिग वर्कर्स को पेंशन, बीमा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं प्रदान करना है।
- यह कदम गिग इकॉनमी से जुड़े मजदूरों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करेगा।
- अध्यादेश लागू होते ही वेलफेयर बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी।
- गिग वर्कर्स को लंबे समय से स्थायित्व और सुरक्षा की मांग थी।
- सरकार ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया है।
- इससे अन्य राज्य भी ऐसे कानून लाने की दिशा में प्रेरित हो सकते हैं।
- गिग वर्कर्स के अधिकारों को कानूनी मान्यता देना एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
- यह फैसला डिजिटल युग के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।