कश्मीरी वकील मोहम्मद शफी रेशी ने जताई भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा.

श्रीनगर: कश्मीर के जाने-माने वकील और दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गीलानी के सहयोगी रहे मोहम्मद शफी रेशी ने भारतीय संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और शिकायतों को दूर करने में ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) नाकाम रही है।

APHC पर विफलता का आरोप

मोहम्मद शफी रेशी ने कहा कि APHC ने क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में असफलता दिखाई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को उचित न्याय और समाधान दिलाने के लिए भारतीय संविधान ही सबसे उचित मार्ग है।

भारतीय संविधान में विश्वास जताया

रेशी ने साफ तौर पर कहा कि वे अब भारतीय संविधान को ही मान्यता देते हैं और उसके तहत क्षेत्र के विकास व शांति की उम्मीद रखते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कश्मीर के लोग संविधान के दायरे में रहकर अपने मुद्दों का हल निकालें।

समस्या समाधान के लिए संवाद पर ज़ोर

रेशी ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए लोगों से संवाद किया जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं से भी अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर शिक्षा और विकास पर ध्यान दें।

सैयद अली शाह गीलानी के करीबी रहे रेशी का नया रुख

रेशी पहले सैयद अली शाह गीलानी के करीबी सहयोगी माने जाते थे और APHC के प्रमुख नेताओं में शामिल थे। लेकिन अब उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारतीय संविधान को अपनाने का ऐलान कर दिया है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा

रेशी के इस फैसले को राजनीतिक गलियारों में अहम माना जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि उनके इस कदम का जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक माहौल पर प्रभाव पड़ सकता है।

जनता से शांति बनाए रखने की अपील

रेशी ने लोगों से शांति बनाए रखने और हिंसा के रास्ते को छोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर के स्थाई विकास के लिए शांति और भाईचारा जरूरी है।

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