केरल हाईकोर्ट ने मुनाम्बम न्यायिक आयोग की नियुक्ति को किया रद्द.

एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने मुनाम्बम न्यायिक आयोग की नियुक्ति को अवैध बताते हुए उसे रद्द कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय केरल वक्फ प्रोटेक्शन फोरम की याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया।
अदालत ने साफ कहा कि वक्फ ट्रिब्यूनल मुनाम्बम से जुड़े मामलों की जांच नहीं कर सकता है, क्योंकि आयोग की नियुक्ति कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण थी।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से आयोग के गठन पर संतोषजनक जवाब न मिलने पर नाराजगी जताई।
सरकार ने पहले बताया था कि जस्टिस सी. एन. रामचंद्रन नायर आयोग को कोई न्यायिक या अर्ध-न्यायिक अधिकार नहीं दिए गए थे।
सरकार का कहना था कि आयोग को मुनाम्बम से जुड़े तथ्यों की जांच के लिए नियुक्त किया गया था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आयोग को सरकार को अपनी सिफारिशों को लागू करने के निर्देश देने का अधिकार नहीं है।
केरल वक्फ प्रोटेक्शन फोरम ने आयोग को रद्द करने की मांग की थी।
फोरम का कहना था कि आयोग मुनाम्बम में जमीन के स्वामित्व के संरक्षण से जुड़े मामलों की जांच कर रहा था।
इससे पहले एक सिविल अदालत ने पहले ही मुनाम्बम क्षेत्र की लगभग 104 एकड़ जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था।
हाईकोर्ट ने पहले भी आयोग की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए थे।
अदालत ने कहा कि जब पहले से कानून मौजूद है, तो नए आयोग की आवश्यकता नहीं थी।
याचिका दायर होने के बाद आयोग की गतिविधियों को पहले ही निलंबित कर दिया गया था।
इस फैसले के बाद मुनाम्बम क्षेत्र में भूमि विवाद को लेकर जारी विवाद को विराम मिलने की उम्मीद है।
हाईकोर्ट ने सरकार को भविष्य में ऐसी नियुक्तियों में स्पष्टता बरतने का निर्देश दिया है।
केरल वक्फ प्रोटेक्शन फोरम ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
फोरम का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के संरक्षण में एक अहम कदम साबित होगा।
इस निर्णय के बाद राज्य सरकार को आयोग की नियुक्ति में हुई त्रुटियों की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से वक्फ संपत्तियों को लेकर चल रही अन्य विवादित मामलों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
इस फैसले के बाद मुनाम्बम के स्थानीय निवासियों में राहत का माहौल देखा जा रहा है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि भूमि विवाद सुलझाने का अधिकार केवल सिविल अदालत को ही है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना कानूनी अधिकार के किसी आयोग का गठन अनुचित है।