कोरिंगा में देश की पहली रेडियो कॉलर फिशिंग कैट परियोजना शुरू।

भारत में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। आंध्र प्रदेश के कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य में देश की पहली रेडियो कॉलर परियोजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय फिशिंग कैट (मछली पकड़ने वाली बिल्ली) की गतिविधियों पर नज़र रखना है। यह पहल इन विशिष्ट बिल्लियों के व्यवहार और आवास को समझने में वैज्ञानिकों की मदद करेगी, जिससे उनके संरक्षण के प्रयासों को बल मिलेगा।

इस परियोजना के हिस्से के रूप में, फिशिंग कैट्स को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए रेडियो कॉलर रिंग पहनाए जा रहे हैं। ये कॉलर रिंग मोबाइल तकनीक के माध्यम से शोधकर्ताओं को उनकी हरकतों पर नज़र रखने में सहायता करेंगे। इससे प्राप्त डेटा वैज्ञानिकों को इन बिल्लियों के शिकार के पैटर्न, प्रजनन आदतों और उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले क्षेत्रों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा। यह जानकारी फिशिंग कैट की आबादी को बचाने और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा के लिए प्रभावी रणनीतियाँ विकसित करने में महत्वपूर्ण होगी।

फिशिंग कैट एक कमजोर प्रजाति है, जिसे आर्द्रभूमि के नुकसान और मानव-वन्यजीव संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। इस परियोजना के माध्यम से, संरक्षणवादी उम्मीद कर रहे हैं कि वे इन रहस्यमय प्राणियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा पाएंगे। यह परियोजना भारत में वन्यजीव अनुसंधान और संरक्षण के लिए एक नया मानक स्थापित करती है।

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