गिरिडीह मानहानि मुकदमे में पत्रकार को मिला राहत भरा कोर्ट आदेश.
गैर जमानती वारंट के बाद समर्पण कर अदालत से मिली अंतरिम राहत
गिरिडीह में वर्षों से चल रहे मानहानि मामले में आज एक महत्वपूर्ण फैसला आया। पत्रकार को अदालत ने राहत प्रदान करते हुए जमानत दे दी। मामला उस समय चर्चा में आया था जब सब-जज मोहम्मद नईम अंसारी ने गलत खबर प्रकाशित होने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने इसे साजिशपूर्ण बताया था। कहा गया था कि इससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। इस आरोप के बाद मामला लंबी कानूनी प्रक्रिया में फंस गया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर कई धाराओं में केस दर्ज किया। पुलिस जांच के दौरान कई तथ्य सामने आए। जांच ने आरोपों को सही ठहराया। बाद में आरोप पत्र दायर हुआ।
अदालत ने साल 2023 में इस मामले को गंभीरता से लिया। अभियुक्तों को पेश होने के लिए समन जारी हुए। तीन अभियुक्त पहले ही जमानत पर थे। लेकिन पत्रकार अदालत में पेश नहीं हुए। इससे न्यायालय ने जमानती वारंट जारी किया। बाद में गैर जमानती वारंट भी जारी करना पड़ा। इस स्थिति के बाद पत्रकार ने अदालत में आत्मसमर्पण किया। उन्होंने जमानत की अपील की। अदालत ने मामले का विश्लेषण किया। न्यायिक दंडाधिकारी मोनिका श्रीवास्तव ने जमानत स्वीकार कर ली। यह आदेश पत्रकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया। उनकी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।
सोशल और मीडिया जगत में इस मामले पर लगातार चर्चा हो रही है। लोग इसे प्रेस की जिम्मेदारी से जोड़कर देख रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि गलत खबर प्रकाशन जैसी घटनाएं विश्वसनीयता पर असर डालती हैं। अदालत ने अपने आदेश में आगे की सुनवाई में मौजूद रहने का निर्देश दिया। यह मामला कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। न्यायपालिका ने इसे संवेदनशील मुद्दा माना है। आगे की कानूनी प्रक्रिया में कई और तथ्य सामने आ सकते हैं। यह मामला अब भी कई सवालों को जन्म दे रहा है। पत्रकारिता और न्यायिक प्रक्रिया दोनों के लिए यह एक सीख भरा मामला माना जा रहा है।
