जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने तीन हत्या दोषियों को बरी किया।
श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में, तीन दशक बाद तीन लोगों को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘शक सबूत नहीं होता’ और अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहा। यह फैसला एक बार फिर से न्यायपालिका की विश्वसनीयता को दर्शाता है।
न्यायमूर्ति संजीव कुमार और न्यायमूर्ति संजय परिहार की खंडपीठ ने पाया कि मुख्य हमलावरों को पहले ही निर्दोष ठहराया जा चुका था, जिससे इन तीनों के खिलाफ आरोप भी कमजोर हो गए। कोर्ट ने कहा कि केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
यह मामला दिखाता है कि कैसे सालों तक चलने वाले मुकदमों से एक व्यक्ति का जीवन तबाह हो सकता है। इन तीनों व्यक्तियों ने अपनी जिंदगी के 30 साल सलाखों के पीछे बिताए, सिर्फ इस इंतजार में कि उन्हें न्याय मिलेगा। यह फैसला न्याय की जीत है, भले ही इसमें काफी देर हो गई हो।
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