झारखंड में बिजली ढांचा बदलने की तैयारी, ट्रांसमिशन लाइनें होंगी विस्तृत.

लंबी अवधि की योजना में 30 नए सब-स्टेशन और बढ़ी क्षमता शामिल

झारखंड सरकार ने बिजली व्यवस्था को नए रूप में ढालने के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया है। राज्य में ऊर्जा का बड़ा हिस्सा बाहरी एजेंसियों से होकर आता है, जिससे बजट पर अतिरिक्त भार पड़ता है। सरकार ने अब इस संरचना में मूलभूत बदलाव लाने का निर्णय लिया है। इससे राज्य को बिजली वितरण में अधिक अधिकार मिलेंगे। 4069 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण इसी रणनीति का प्रमुख हिस्सा है। यह लाइनें शहरों, कस्बों और गांवों को मजबूत रूप से जोड़ेंगी। इससे बिजली कटौती के मामलों में कमी आएगी।

2034-35 तक बिजली की मांग बढ़ने की संभावना जताई गई है। इसलिए सब-स्टेशनों की क्षमता को बढ़ाकर 20,420 एमवीए किया जाएगा। यह वृद्धि न केवल मांग को पूरा करेगी बल्कि भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को भी नियंत्रित करेगी। सरकार ने इसके लिए 8205.24 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। यह फंड विभिन्न एजेंसियों और विभागों के सहयोग से उपयोग में लाया जाएगा। इससे ऊर्जा परियोजनाओं को तेज गति मिलेगी। नई तकनीक और आधुनिक उपकरणों का भी उपयोग किया जाएगा। इससे ट्रांसमिशन लॉस में कमी होगी। बिजली वितरण का स्तर भी सुधरेगा।

इस योजना में 30 नए सब-स्टेशनों के निर्माण पर विशेष जोर है। इन स्टेशनों को उन स्थानों पर स्थापित किया जाएगा जहां बिजली भार अधिक है। चयनित स्थानों में साहेबगंज, सिमडेगा, चास और राजमहल प्रमुख हैं। धनबाद क्षेत्र में दो स्टेशनों से बड़े औद्योगिक इलाकों को बल मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों को भी इससे राहत मिलेगी। फसल सिंचाई और छोटे उद्योगों को यह परियोजना बड़ी सुविधा देगी। बिजली की स्थिरता बढ़ने से निवेश की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। सरकार का दावा है कि इस परियोजना के पूरा होने से झारखंड ऊर्जा क्षेत्र में नई पहचान बनाएगा। यह आने वाले वर्षों में विकास की रफ्तार बढ़ाएगा।

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