तीन भाषा नीति पर महाराष्ट्र में बना गतिरोध.

निर्णय सभी पक्षों से विचार-विमर्श के बाद: मुख्यमंत्री फडणवीस
मुंबई: महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 4 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाए जाने के प्रस्ताव पर बीते कई महीनों से विरोध जारी है। इस बीच सोमवार रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर तीन भाषा नीति को लेकर एक अहम बैठक हुई, जिसमें यह तय किया गया कि इस विषय पर अंतिम निर्णय सभी संबंधित पक्षों से चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इस नीति को लेकर राज्य में जो असहमति है, उसे समझते हुए अब साहित्यकारों, भाषा विशेषज्ञों, राजनीतिक नेताओं और अन्य हितधारकों से संवाद किया जाएगा। बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भूसे, राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि देश के अन्य राज्यों में तीन भाषा नीति की वर्तमान स्थिति को जनता के सामने लाया जाए, जिससे इस विषय पर जागरूकता बढ़े।
उन्होंने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र सरकार किसी भी निर्णय को थोपने के पक्ष में नहीं है और सभी की राय लेकर ही आगे कदम उठाएगी। राज्य में विभिन्न भाषाई समुदायों की भावनाओं का सम्मान करते हुए नीति निर्माण किया जाएगा। हिंदी को लेकर विरोध के स्वर विशेषकर मराठी भाषी संगठनों और स्थानीय समुदायों की ओर से सामने आए हैं। सरकार ने सभी पक्षों को भरोसा दिलाया है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और किसी के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी।