दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 17 में भीषण आग लगने की घटना के बाद, जिसमें दो मासूम बच्चों की जान चली गई, पीड़ित अब अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।

आग ने कई झुग्गियों को राख में बदल दिया, जिससे कई परिवार बेघर हो गए और उनकी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ।
आग लगने के तुरंत बाद, स्थानीय प्रशासन और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों ने पीड़ितों को तत्काल राहत सामग्री जैसे भोजन, पानी, कपड़े और अस्थायी आश्रय प्रदान किया। हालांकि, जले हुए घरों के मलबे को साफ करना और फिर से अपना आशियाना बनाना इन परिवारों के लिए एक बड़ी चुनौती है। कई लोग अपने जले हुए सामान के बीच अपनी बची हुई चीजों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी इस आग में खो दी है और अब उन्हें फिर से सब कुछ शुरू करने के लिए मदद की आवश्यकता है। सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन बेघर हुए लोगों के लिए स्थायी पुनर्वास और आजीविका का इंतजाम करना अभी बाकी है। स्थानीय समुदाय और स्वयंसेवी संगठन पीड़ितों को हर संभव सहायता प्रदान करने में जुटे हैं, ताकि वे इस मुश्किल घड़ी से उबर सकें और एक बार फिर सम्मानजनक जीवन जी सकें।