दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को न्यायिक सेवाओं में मिलेगा अवसर: सुप्रीम कोर्ट.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि दृष्टिबाधित उम्मीदवार भी न्यायिक सेवाओं की चयन प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि कोई भी उम्मीदवार सिर्फ विकलांगता के कारण न्यायिक सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता

मुख्य बिंदु:

  1. सुप्रीम कोर्ट ने दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को न्यायिक सेवा में शामिल होने की अनुमति दी।
  2. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
  3. न्यायमूर्ति महादेवन ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।
  4. राज्य को समावेशी व्यवस्था बनाने के लिए कदम उठाने होंगे।
  5. किसी भी उम्मीदवार को विकलांगता के आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता।
  6. मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा के नियम 6(A) को असंवैधानिक करार दिया गया।
  7. यह नियम दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को न्यायिक सेवा में शामिल होने से रोकता था।
  8. सुप्रीम कोर्ट ने इसे समानता के अधिकार का उल्लंघन माना।
  9. न्यायपालिका में विकलांग उम्मीदवारों के लिए अवसर सुनिश्चित किए जाएंगे।
  10. विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत उन्हें उचित सहूलियत दी जाएगी।
  11. अदालत ने राज्य सरकारों को समावेशी भर्ती नीति अपनाने का निर्देश दिया।
  12. इस फैसले से देशभर में विकलांग उम्मीदवारों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
  13. सुप्रीम कोर्ट ने विकलांगता के आधार पर भेदभाव को अस्वीकार किया।
  14. न्यायिक सेवाओं में अब सभी वर्गों के लोगों को समान अवसर मिलेगा।
  15. दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति होगी।
  16. फैसले के अनुसार, किसी भी अप्रत्यक्ष भेदभाव को रोका जाना चाहिए।
  17. सुप्रीम कोर्ट ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को मजबूत किया।
  18. न्यायपालिका में अब समान अवसर की नीति लागू होगी।
  19. यह फैसला अन्य राज्यों में भी विकलांग उम्मीदवारों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
  20. देशभर में विकलांग समुदाय ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया।

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