नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अपने नव-निर्मित वीर सावरकर कॉलेज में उन आवेदकों के लिए सीटें आरक्षित करने का निर्णय लिया है, जिस गांव ने कॉलेज के लिए भूमि दान की है।

यह कॉलेज, जिसका अनुमानित लागत 140 करोड़ रुपये है, रोशनपुरा गांव के निवासियों द्वारा दान की गई भूमि पर विकसित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने भूमि दान करने वाले गांव के प्रति आभार व्यक्त करते हुए यह कदम उठाया है। इस पहल का उद्देश्य उन स्थानीय निवासियों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना है जिन्होंने कॉलेज की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वीर सावरकर कॉलेज डीयू के विस्तार योजना का हिस्सा है, जिसके तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए नए कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। रोशनपुरा गांव के लोगों ने कॉलेज के लिए उदारतापूर्वक भूमि दान की, जिससे इस परियोजना को साकार करने में मदद मिली।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अनुसार, आरक्षित सीटों की संख्या और आरक्षण की प्रक्रिया जल्द ही कॉलेज की प्रवेश विवरणिका में अधिसूचित की जाएगी। यह निर्णय शैक्षणिक सत्र [आगामी शैक्षणिक सत्र का वर्ष] से लागू होने की संभावना है।
इस कदम का स्थानीय निवासियों ने स्वागत किया है, जो अब अपने बच्चों के लिए अपने गांव के पास ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बेहतर अवसर देख रहे हैं। उनका मानना है कि इससे क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
कॉलेज में विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रस्तावित किए जाएंगे, जिससे छात्रों को कला, विज्ञान और वाणिज्य जैसे विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। कॉलेज में आधुनिक शिक्षण सुविधाएं और अनुभवी शिक्षक होंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि यह पहल विश्वविद्यालय और स्थानीय समुदाय के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने में मदद करेगी। यह अन्य संस्थानों को भी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
वीर सावरकर कॉलेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और उम्मीद है कि यह निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा हो जाएगा। कॉलेज का नामकरण भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के सम्मान में किया गया है।