नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को सरकारी निकायों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उपयोग के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से विभिन्न सरकारी विभागों में ईवी को एकीकृत करने से संबंधित 30 अप्रैल तक एक व्यापक प्रस्ताव दाखिल करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यह निर्देश जारी किया। अदालत ने कहा कि सरकारी निकायों में ईवी को अपनाने से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।

अदालत ने केंद्र सरकार से प्रस्ताव में ईवी की खरीद, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना और इस परिवर्तन को लागू करने के लिए समय-सीमा सहित सभी प्रासंगिक पहलुओं को शामिल करने को कहा है। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार विभिन्न विभागों की आवश्यकताओं के अनुसार ईवी के चरणबद्ध कार्यान्वयन पर विचार कर सकती है।

यह निर्देश पर्यावरण कार्यकर्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए आया है, जिसमें सरकारी विभागों में ईवी के उपयोग को अनिवार्य करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकार को स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने में एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सार्वजनिक परिवहन में ईवी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। यह नवीनतम निर्देश सरकारी क्षेत्र में ईवी के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई मई के पहले सप्ताह में निर्धारित की है और केंद्र सरकार को 30 अप्रैल तक अपना प्रस्ताव दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस पहल से देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा मिलने और प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *