न्याय विलंब से मृतक, परिजनों ने कब्र पर फैसला पढ़ा।
मुंबई, महाराष्ट्र: मुंबई में हुए 7/11 ट्रेन धमाकों के पीड़ितों को न्याय की लड़ाई में एक दुखद मोड़ आया है।
इन धमाकों में मारे गए 180 से अधिक लोगों के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले महीने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले का एक दुखद पहलू यह है कि बरी होने वाले आरोपियों में से एक, अंसारी, इस फैसले का इंतजार करते-करते ही मर गए।
यह घटना दिखाती है कि कैसे न्याय में देरी कभी-कभी न्याय से इनकार के बराबर होती है। अंसारी के परिवार के लिए यह फैसला एक कड़वी जीत की तरह है। वे उनकी कब्र पर गए और उन्हें बरी होने के फैसले के बारे में बताया। यह दृश्य दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति ने न्याय की लड़ाई में अपना जीवन खो दिया।
इस घटना ने भारतीय न्याय व्यवस्था की धीमी गति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह एक दुखद उदाहरण है कि कैसे सालों तक चलने वाले मुकदमों से एक निर्दोष व्यक्ति का जीवन तबाह हो सकता है। यह मामला न्यायपालिका के लिए एक सबक है कि लंबित मामलों को तेजी से निपटाना कितना महत्वपूर्ण है।
