मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अहम निर्देश दिया है।

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत तमिलनाडु राज्य को आवश्यक धनराशि आवंटित करने का निर्देश दिया है। यह महत्वपूर्ण निर्देश एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें दावा किया गया था कि तमिलनाडु के निजी स्कूलों में RTE अधिनियम के तहत अनिवार्य आरक्षण नियम का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन नहीं हो रहा है।

याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि निजी स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी होती हैं, लेकिन तमिलनाडु के कई स्कूल इन सीटों को पूरा नहीं कर रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह हो सकता है कि केंद्र सरकार से राज्य को समय पर या पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे स्कूलों को इन आरक्षित सीटों पर प्रवेश दिए गए छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति में समस्या आ रही है। यह धन स्कूलों द्वारा आरक्षित सीटों पर प्रवेश दिए गए छात्रों की शिक्षा के खर्च की भरपाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उच्च न्यायालय का यह फैसला केंद्र सरकार पर दबाव डालेगा कि वह RTE अधिनियम के प्रावधानों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए धन जारी करे। इस न्यायिक हस्तक्षेप का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तमिलनाडु में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिल सके, जैसा कि कानून में परिकल्पित है। यह बच्चों के शिक्षा के अधिकार को मजबूत करने और समाज के वंचित वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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