रांची: अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ सड़क पर उतरे हजारों वकील.

वकीलों का कहना है कि यह विधेयक उनके अधिकारों को सीमित करता है और उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं ने रांची जिला अदालत से लेकर राजभवन तक मार्च निकाला। बार काउंसिल के सदस्यों ने कहा कि यह विधेयक कानूनी पेशे को कमजोर करने का प्रयास है और इसे लागू करना तानाशाही फैसला होगा। अधिवक्ताओं का आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने कई जगहों पर सड़कों को जाम कर दिया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक हटाने का प्रयास किया, लेकिन वकीलों ने अपना विरोध जारी रखा। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती है तो वे राज्यभर में हड़ताल करेंगे। वकीलों ने यह भी कहा कि वे जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि सरकार को इस विधेयक पर पुनर्विचार करना चाहिए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह विधेयक न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है। सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों के साथ वकीलों की बातचीत जल्द हो सकती है।
अधिवक्ताओं ने जनता से भी अपील की है कि वे इस विरोध में उनका समर्थन करें। पूरे राज्य में वकीलों के इस आंदोलन से कानूनी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वकील अगले हफ्ते राज्यव्यापी बंद का ऐलान कर सकते हैं। वकीलों के इस आंदोलन ने झारखंड सरकार के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है

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