लुधियाना के एक विलक्षण प्रतिभा के धनी प्रभजोत सिंह अपनी दोनों हाथों से लिखने की अद्भुत क्षमता रखते हैं।

लेकिन जो चीज उन्हें प्रेरित करती है, वह है गुरु ग्रंथ साहिब में इस्तेमाल हुई 13 भाषाओं के प्रति उनका गहरा प्रेम और पंजाबी भाषा को जीवित रखने का उनका मिशन। दाएं या बाएं, उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य के केंद्र में रहने का फैसला किया है।

प्रभजोत सिंह न केवल दोनों हाथों से लिख सकते हैं, बल्कि उनकी लिखावट की गति और स्पष्टता भी कमाल की है। उनका यह अद्वितीय कौशल उन्हें विभिन्न लिपियों और शैलियों में लिखने की क्षमता प्रदान करता है। लेकिन यह सिर्फ एक कलाबाजी नहीं है; प्रभजोत इस प्रतिभा का उपयोग पंजाबी भाषा और गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं। उनका मानना है कि भाषा किसी भी संस्कृति की आत्मा होती है और इसे जीवित रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

वह विभिन्न कार्यशालाओं और प्रदर्शनों के माध्यम से युवाओं को पंजाबी भाषा के महत्व और गुरु ग्रंथ साहिब की बहुभाषी विरासत से अवगत कराते हैं। उनकी अनूठी लेखन शैली लोगों को आकर्षित करती है और उन्हें भाषा और धर्म के प्रति जिज्ञासा पैदा करने में मदद करती है। प्रभजोत सिंह का यह प्रयास न केवल पंजाबी भाषा को जीवित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भाषाई विविधता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

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