श्रीनगर: कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने वाली भारत की सबसे महत्वाकांक्षी सुरंग परियोजना के पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

जिसमें इंजीनियरों और श्रमिकों ने बिना ज्यादा शोर-शराबा किए पहाड़ों के नीचे चुपचाप काम किया, एक-एक करके सुरंगों का निर्माण किया। यह परियोजना, जिसे उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) के रूप में जाना जाता है, हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण है।

इस परियोजना का उद्देश्य कश्मीर घाटी को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ना है, जिससे क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस चुनौतीपूर्ण कार्य में कई लंबी और जटिल सुरंगों का निर्माण शामिल है, जो भूवैज्ञानिक रूप से अस्थिर क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं।
इस सुरंग का निर्माण अत्यंत कठिन परिस्थितियों में किया गया, जिसमें भूस्खलन, पानी का रिसाव और अप्रत्याशित भूवैज्ञानिक संरचनाएं शामिल थीं।

इंजीनियरों और श्रमिकों ने आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करते हुए, दिन-रात काम किया ताकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार किया जा सके। उन्होंने नई ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) जैसी उन्नत सुरंग बनाने की तकनीकों का इस्तेमाल किया, जो जटिल भूवैज्ञानिक परिस्थितियों में सुरंग बनाने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।

इन सुरंगों के निर्माण में सुरक्षा और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया है।

यूएसबीआरएल परियोजना न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और कनेक्टिविटी का भी प्रतीक है। यह परियोजना कश्मीर घाटी के लोगों के लिए विकास और समृद्धि के नए रास्ते खोलेगी।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, परियोजना का अधिकांश काम पूरा हो चुका है और जल्द ही कश्मीर घाटी को सीधे रेल मार्ग से जोड़ा जाएगा। यह न केवल यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

इस परियोजना में काम करने वाले इंजीनियरों और श्रमिकों का समर्पण और कड़ी मेहनत वास्तव में सराहनीय है, जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इस मुश्किल लक्ष्य को हासिल करने के लिए अथक प्रयास किया।

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