समुद्र में खनन पर ट्रंप की चाल से वैश्विक टकराव का खतरा.

अरलिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों को दरकिनार कर गहरे समुद्र में खनन की अनुमति देने के फैसले पर समुद्री विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। ट्रंप ने पिछले महीने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में गहरे समुद्र में खनन के लिए परमिट प्रक्रिया को तेज किया जा सके।

इस आदेश का आधार एक पुराना 1980 का अमेरिकी कानून है, जो अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में भी खनन की इजाजत देने की कोशिश करता है।यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र की निगरानी करने वाले अंतरराष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (ISA) को दरकिनार करते हुए उठाया गया है, जो संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में काम करता है।

समुद्र के कानून को मुख्य रूप से 1982 की संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इस संधि का उद्देश्य था कि दुनिया के समुद्री इलाकों के नीचे की भूमि पर देशों के बीच प्रतिस्पर्धी दावे ना हों। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम एक वैश्विक ‘समुद्री क्षेत्र पर प्रभुत्व की दौड़’ को जन्म दे सकता है, जिससे समुद्री पर्यावरण और वैश्विक संतुलन को बड़ा खतरा हो सकता है।

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