सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अपील खारिज की.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को पश्चिम बंगाल में लागू करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला राज्य के ग्रामीण श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जिन्हें पिछले काफी समय से 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना के तहत अपनी मजदूरी नहीं मिल रही थी। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया।
कलकत्ता हाईकोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें राज्य में मनरेगा के तहत मजदूरी के भुगतान न होने के मुद्दे को उठाया गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि केंद्र सरकार द्वारा फंड रोके जाने के कारण लाखों ग्रामीण श्रमिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जल्द से जल्द फंड जारी करने और योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया था। केंद्र ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को वैध और न्यायसंगत माना।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि श्रमिकों को उनके काम का पारिश्रमिक मिलना उनका मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि योजना के कार्यान्वयन में किसी भी तरह की प्रशासनिक या राजनीतिक खींचतान के कारण गरीबों के हितों की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इस आदेश के बाद अब पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार दोनों को मिलकर राज्य में मनरेगा के तहत रुके हुए भुगतान को जारी करने और योजना को सुचारू रूप से चलाने की दिशा में काम करना होगा। यह फैसला ग्रामीण श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है।
