सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को मात्र पांच प्रतिशत वोट भी हासिल न करने के बावजूद, डिफ़ॉल्ट रूप से संसद में प्रवेश करने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चुनाव कानूनों में सुधार की मांग की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पर्याप्त जन समर्थन वाले उम्मीदवार ही संसद में प्रतिनिधित्व करें।

न्यायमूर्ति [जज का नाम] और न्यायमूर्ति [दूसरे जज का नाम] की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यह सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में कई ऐसे सदस्य संसद में पहुंच जाते हैं जिन्हें बहुत कम मतदाताओं का समर्थन प्राप्त होता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का मूल उद्देश्य कमजोर होता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि संसद जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में केवल उन लोगों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए जिनके पास मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी और सुझाव पेश करने को कहा ताकि चुनाव कानूनों में आवश्यक सुधार किए जा सकें। पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि चुनाव आयोग को इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई कुछ हफ्तों बाद निर्धारित की गई है, जिसमें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर आगे बहस होने की उम्मीद है जो भारतीय लोकतंत्र की नींव से जुड़ा हुआ है।

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