सुप्रीम कोर्ट ने लंबी न्यायिक हिरासत पर चिंता व्यक्त की, उल्लेख किया कि इससे व्यक्तिगत संबंधों और नौकरी पर असर पड़ता है.

कोर्ट ने निचली अदालतों और सरकारी वकीलों को चेताया कि वे सुनिश्चित करें कि गवाहों की सूची लंबी होने से मुकदमे की प्रक्रिया धीमी न हो।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना उसके अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी को यह साबित करने का मौका मिलना चाहिए कि वह निर्दोष है।
यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक राहत की सांस है जो लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक हिरासत का मतलब यह नहीं है कि आरोपी अपराधी है।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला यह भी दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बहुत महत्व देता है।