स्टालिन का केंद्र पर तीखा वार: “NEET हो या वक्फ एक्ट, हम ही उठाते हैं आवाज”

चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि चाहे NEET का मामला हो, तीन-भाषा नीति, वक्फ संशोधन एक्ट या परिसीमन जैसे अहम मुद्दे—इन सभी पर सबसे पहले और मजबूती से आवाज द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ही उठाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जब NEET के कारण हमारे छात्र आत्महत्या करते हैं, तब दिल्ली चुप रहती है, लेकिन DMK चुप नहीं बैठती। जब दक्षिण भारत को हिंदी थोपने की साजिश होती है, तब हम तीन-भाषा नीति का विरोध करते हैं। वक्फ संपत्तियों पर हमले हों या परिसीमन के जरिए दक्षिण के राज्यों की राजनीतिक ताकत कम करने की कोशिश हो—DMK ही है जो सबसे पहले सामने आती है।”
स्टालिन ने यह भी कहा कि यह समय एकजुट होने का है, क्योंकि ये सभी नीतियां न केवल तमिलनाडु, बल्कि पूरे दक्षिण भारत की पहचान, अधिकार और हिस्सेदारी पर सीधा प्रहार हैं।
वक्फ संशोधन एक्ट के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि इससे अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, परिसीमन के सवाल पर उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जनसंख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा हुआ, तो दक्षिण भारत के राज्यों की राजनीतिक भागीदारी को नुकसान पहुंचेगा।
मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में समान नागरिक संहिता, भाषा नीति और चुनावी सीटों के पुनर्गठन जैसे मुद्दों पर गहन बहस चल रही है। स्टालिन के बयान को दक्षिण भारत के राजनीतिक दलों की एकजुटता की संभावनाओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, “हम नफरत और ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ हैं। हमारी राजनीति न्याय, समानता और संविधान की भावना पर आधारित है।”
DMK प्रमुख का यह रुख आने वाले महीनों में विपक्षी गठबंधन की रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकता है।