हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन हेतु सख्त नीतिगत कदम जरूरी।

शिमला, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं ने राज्य सरकार और विशेषज्ञों को सख्त नीतिगत बदलावों पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में, नदियों और नालों के किनारे बनी बड़ी संख्या में सरकारी और निजी इमारतें बाढ़ और मलबे से तबाह हो गई हैं। इस विनाश ने एक बार फिर से इस बात पर जोर दिया है कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में निर्माण गतिविधियों के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए, खासकर उन क्षेत्रों में जो बाढ़ और भूस्खलन के प्रति संवेदनशील हैं। उनका तर्क है कि अगर इन नियमों का पालन नहीं किया गया, तो भविष्य में भी इसी तरह का विनाश होता रहेगा। इसके अलावा, पुरानी इमारतों की संरचनात्मक सुरक्षा की भी जाँच होनी चाहिए और कमजोर इमारतों को खाली कराया जाना चाहिए।

राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और वह भविष्य में इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए एक व्यापक योजना पर काम कर रही है। यह योजना न केवल निर्माण नियमों को सख्त करेगी, बल्कि यह लोगों को भी जागरूक करेगी कि वे जोखिम भरे क्षेत्रों में निर्माण न करें।

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