फिरोजाबाद में बुजुर्ग व्यक्ति को साबित करने की जद्दोजहद कि वह जिंदा है, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में उसे मृत घोषित किया गया है.

इस गलती के कारण उन्हें मिलने वाले सरकारी लाभों से वंचित कर दिया गया है।
इस बुजुर्ग व्यक्ति को जब इस बात का पता चला तो वे हैरान रह गए। उन्होंने तुरंत अधिकारियों से संपर्क किया और अपनी गलती सुधारने की मांग की। हालांकि, अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। इस घटना से यह साफ है कि सरकारी रिकॉर्ड में कितनी बड़ी गलतियां हो सकती हैं और इससे आम लोगों को कितनी परेशानी होती है।
इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। जैसे कि, आखिर कैसे एक जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित किया जा सकता है? क्या इस तरह की गलतियां रोकने के लिए कोई व्यवस्था है? इस मामले ने एक बार फिर सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को जोर दिया है।