1984 दंगा मामला: सज्जन कुमार के लिए मौत की सजा की मांग.

अभियोजन पक्ष ने विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत में दायर लिखित दलील में कहा कि यह अपराध “निर्भया केस से भी अधिक गंभीर” था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, “निर्भया केस में एक युवती को निशाना बनाया गया था, लेकिन इस मामले में एक विशेष समुदाय को टारगेट किया गया।” हत्या के अपराध के लिए कानून के तहत न्यूनतम सजा आजीवन कारावास होती है।
कोर्ट की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी, क्योंकि सज्जन कुमार के वकील ने दलील पेश करने के लिए समय मांगा। मंगलवार को एडवोकेट अमेंडमेंट बिल, 2025 के विरोध में वकील हड़ताल पर थे।
अभियोजन पक्ष की दलीलें:
- “अपराध बेहद नृशंस और अमानवीय तरीके से किया गया।”
- “यह मामला ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में आता है।”
- “बिना किसी उकसावे के, भीड़ के साथ मिलकर विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया।”
- “चार असहाय महिलाओं को पीटा गया और दो लोगों को जिंदा जलाया गया।”
- “पीड़ितों के मानसिक आघात का प्रभाव 39 साल बाद भी देखा जा सकता है।”
सज्जन कुमार वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं। पीड़ित पक्ष के वकील एच.एस. फूलका ने भी मृत्युदंड की मांग का समर्थन किया और बहस के लिए समय मांगा।