गया के सुग्रीव राजवंशी ने 16 साल में खुदे तीन तालाब, गांव को दी जल संकट से राहत

वह दशरथ मांझी और लौंगी भुइयां की तरह निःस्वार्थ सेवा के लिए पहचाने जा रहे हैं।
राजवंशी ने 2009 में फावड़ा उठाया और बिना रुके खुदाई शुरू कर दी। दो साल में पहला तालाब तैयार हुआ, जिसकी लंबाई 130 फीट, चौड़ाई 50 फीट और गहराई 15 फीट थी। लेकिन वह यहीं नहीं रुके और 2024 तक दो और तालाब बना डाले।
उन्होंने इन तालाबों के नाम प्रभात सरोवर, वंदना सरोवर और गठबंधन सरोवर रखे हैं। ये तालाब अब 5-6 एकड़ खेती की सिंचाई और जंगली जानवरों की प्यास बुझाने के काम आ रहे हैं।
पहले जब गांव वालों को उनके काम के बारे में पता चला, तो उन्हें पागल कहा गया और ताने दिए गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार काम करते रहे।
राजवंशी ने 1985 में मैट्रिक पास किया था, लेकिन गरीबी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। वह चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़ें, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह संभव नहीं हो सका।
उनकी पत्नी सुमिर देवी बताती हैं कि 2009 में जब सूखा पड़ा और पानी की भारी कमी हुई, तब उन्होंने खुदाई शुरू की। लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन आज वही लोग उनके काम की सराहना कर रहे हैं।
बेटी मनेका कुमारी कहती हैं कि जब उनके पिता तालाब खोद रहे थे, तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन अब सभी को इन तालाबों से फायदा हो रहा है।
राजवंशी का यह संकल्प दर्शाता है कि एक व्यक्ति की मेहनत और समर्पण पूरे गांव की तकदीर बदल सकता है।