हैदराबाद: तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण पर विवाद, सीएम रेवंत रेड्डी ने बीजेपी और बीआरएस पर साधा निशाना.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को आरोप लगाया कि बीआरएस और बीजेपी जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों को गलत ठहरा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इन दलों को डर है कि पिछड़ा वर्ग उनके खिलाफ सवाल उठाएगा।
सीएम रेड्डी ने पिछड़ा वर्ग संगठनों के साथ बैठक कर जाति सर्वेक्षण की सटीकता को लेकर विपक्ष के आरोपों को खारिज किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नवंबर-दिसंबर 2023 में किया गया जाति सर्वेक्षण पूरी पारदर्शिता से किया गया था।
रेड्डी ने कहा कि भाजपा इसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि यह कुछ खास जातियों के हितों को प्रभावित कर सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस द्वारा किया गया जाति सर्वेक्षण न्यायिक जांच में सही साबित होता है, तो इससे कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार पिछड़े वर्गों के हक को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
बीआरएस और बीजेपी ने दावा किया था कि जाति सर्वेक्षण में कई विसंगतियां हैं, जिसे सीएम रेड्डी ने सिरे से नकार दिया।
सरकार का कहना है कि इस सर्वेक्षण से सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा और वंचित वर्गों को उनका हक मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जाति सर्वेक्षण के नतीजे राज्य की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
विपक्ष के विरोध के बावजूद, रेड्डी सरकार इस सर्वेक्षण के आधार पर नीतियां बनाने के पक्ष में है।
सरकार का कहना है कि जातिगत आंकड़ों से सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
रेड्डी ने कहा कि विपक्षी दल जातिगत संतुलन में बदलाव से घबराए हुए हैं।
राज्य में जाति सर्वेक्षण को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है।
बीजेपी ने मांग की है कि सरकार सर्वेक्षण के पूरे डेटा को सार्वजनिक करे।
वहीं, बीआरएस ने आरोप लगाया कि सर्वेक्षण कांग्रेस के राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया गया।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि जाति सर्वेक्षण से राज्य में आरक्षण नीति पर भी असर पड़ सकता है।
अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे को किस तरह संभालती है और क्या यह मामला चुनावी मुद्दा बन सकता है।