शरद पवार बोले – साहित्य सम्मेलन में नीलम गोरहे को बयान नहीं देना चाहिए था

मुंबई: एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि शिवसेना नेता नीलम गोरहे को अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के मंच से विवादित बयान नहीं देना चाहिए था।
उनका यह बयान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत के बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने शरद पवार पर इस मुद्दे पर चुप रहने का आरोप लगाया था।
शरद पवार ने कहा कि साहित्य सम्मेलन में बहस होती है, लेकिन इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।
उन्होंने कहा, दिल्ली में हुए इस सम्मेलन में पूरे देश से मराठी नागरिक शामिल हुए थे।
नीलम गोरहे, जो महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति हैं, ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।
इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि साहित्य सम्मेलन का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
शरद पवार ने कहा, नीलम गोरहे को उस मंच से ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। संजय राउत इस मामले में 100 फीसदी सही हैं।
उन्होंने कहा, बिना वजह ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए थी।
पवार ने नीलम गोरहे के राजनीतिक सफर पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, उन्होंने चार पार्टियां बदली हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा सोच-समझकर बोलना चाहिए।
गोरहे पहले प्रकाश अंबेडकर के साथ थीं, फिर एनसीपी में शामिल हुईं।
इसके बाद वह उद्धव ठाकरे की शिवसेना में आईं और अब एकनाथ शिंदे के साथ हैं।
शरद पवार के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) ने इसे लेकर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हालांकि, उद्धव गुट ने कहा कि साहित्य सम्मेलन में राजनीति करने की जरूरत नहीं थी।
विपक्षी दलों ने इसे नीलम गोरहे की अवसरवादी राजनीति करार दिया।
संजय राउत ने पहले ही कहा था कि यह सम्मेलन राजनीति के लिए नहीं बल्कि साहित्य के लिए है।
अब देखना होगा कि नीलम गोरहे इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में हर बयान सियासी मायने रखता है।
शरद पवार का यह बयान उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट के लिए नई चुनौती बन सकता है।