कश्मीर में “सोअन मीरास” उत्सव, मिट्टी के घर और पारंपरिक खेलों की झलक

श्रीनगर: आधुनिक दौर में कंक्रीट की इमारतों के बीच मिट्टी के घर, चक्की से गेहूं पीसती महिलाएं, कुम्हार के हाथों से बने मिट्टी के बर्तन और पारंपरिक खेलों की तस्वीरें अब दुर्लभ हो चुकी हैं। लेकिन श्रीनगर के कश्मीर हाट प्रदर्शनी मैदान में आयोजित “सोअन मीरास – आवर हेरिटेज” उत्सव ने इन्हें फिर से जीवंत कर दिया।
बच्चों और युवाओं में दिखा उत्साह
- पहली बार कुम्हार को मिट्टी के बर्तन बनाते देख बच्चे हैरान रह गए।
- बच्चों ने गिल्ली डंडा और कूदने वाले खेल (हॉपस्कॉच) खेलकर पुराने दौर की यादों को ताजा किया।
परंपराओं की झलक
- मिट्टी और घास-फूस से बने झोपड़ी नुमा घर बनाए गए।
- पारंपरिक मूसल और ओखली से अनाज कूटती महिलाओं की झांकी पेश की गई।
- हाथ से बनाए गए कश्मीरी कालीन और लकड़ी के नक्काशीदार सामान भी प्रदर्शित किए गए।
लोकल कारीगरों और श्रमिकों का योगदान
- ये गांव स्थानीय मजदूरों और कारीगरों ने तैयार किया, जो अब सिर्फ कंक्रीट के घर बनाते हैं।
- पुराने तरीकों से बर्तन, कालीन, शॉल, और अन्य हस्तशिल्प कला को दिखाया गया।
संस्कृति को सहेजने की पहल
- जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस संस्कृतिक और विरासत उत्सव का आयोजन किया।
- उद्देश्य बच्चों और युवाओं को पारंपरिक जीवनशैली से जोड़ना और पुरानी विरासत को संजोना है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
- लोगों ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से कश्मीरी संस्कृति को नया जीवन मिलेगा।
- कई बुजुर्गों ने अपनी पुरानी यादों को ताजा करने की बात कही।