संसदीय समिति ने दूरसंचार मंत्रालय से स्पेक्ट्रम सरेंडर पर मांगी रिपोर्ट.

नई दिल्ली: दूरसंचार मंत्रालय द्वारा 2022 से पहले नीलामी में खरीदे गए स्पेक्ट्रम को टेलीकॉम कंपनियों को सरेंडर करने की अनुमति देने की खबरों पर संसदीय समिति ने तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
मुख्य बिंदु:
- बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली समिति ने यह रिपोर्ट मांगी।
- समिति ने संचार मंत्रालय से पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देने को कहा।
- 2015 की सीएजी रिपोर्ट में टेलीकॉम स्पेक्ट्रम नीलामी में गड़बड़ी की बात कही गई थी।
- सीएजी ने ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (BWA) स्पेक्ट्रम के उपयोग में खामियां बताई थीं।
- नीलामी सूचना में अलग-अलग लाइसेंसधारकों के लिए उपयोग को स्पष्ट नहीं किया गया था।
- UAS/CMTS और ISP ऑपरेटरों को एक ही BWA स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने की अनुमति दी गई थी।
- लाइसेंस की अलग-अलग शर्तों के बावजूद स्पेक्ट्रम उपयोग की मंजूरी दी गई थी।
- समिति ने कहा कि दूरसंचार नीति में पारदर्शिता और निष्पक्षता होनी चाहिए।
- सरेंडर की अनुमति से सरकार को राजस्व हानि हो सकती है, समिति ने इस पर चिंता जताई।
- नीलामी में भाग लेने वाली कंपनियों को लेकर समिति ने विस्तृत डेटा मांगा।
- सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
- मंत्रालय से यह भी पूछा गया है कि किन कंपनियों ने स्पेक्ट्रम सरेंडर किया।
- टेलीकॉम सेक्टर में निवेश और प्रतिस्पर्धा पर इसका क्या असर होगा, इस पर चर्चा की जा रही है।
- समिति ने सुझाव दिया कि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए स्पष्ट नीतियां बनाई जाएं।
- 2022 से पहले किए गए सभी स्पेक्ट्रम सौदों की समीक्षा की जा सकती है।
- नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
- दूरसंचार क्षेत्र में सुधार और बेहतर नियमन की जरूरत पर जोर दिया गया है।
- समिति ने कहा कि सरकार को इस मामले में जवाबदेही तय करनी चाहिए।
- टेलीकॉम इंडस्ट्री से भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया ली जा सकती है।
- इस रिपोर्ट के बाद सरकार दूरसंचार नीतियों में बदलाव कर सकती है।