दुर्ग में बना छत्तीसगढ़ का पहला बर्ड हाउस, 2000 पक्षियों को मिलेगा आश्रय.

दुर्ग: शहर के बढ़ते कंक्रीट जंगलों और पेड़ों की कटाई के कारण पक्षियों का बसेरा खत्म होता जा रहा था, लेकिन अब दुर्ग में ‘गौ सेवा समर्पण समिति’ ने पक्षियों के संरक्षण के लिए अनोखी पहल की है। समिति ने छत्तीसगढ़ का पहला बर्ड हाउस बनाया है, जिसमें 2000 से अधिक पक्षियों को आश्रय मिलेगा।

मुख्य बिंदु:

  1. बर्ड हाउस का निर्माण दुर्ग के ‘विश्व गीता गौधाम’ में हुआ है।
  2. यह बर्ड हाउस 45 फीट ऊंचा है और इसका बेस 12 फीट ऊंचा बनाया गया है।
  3. इसमें 700 से अधिक घोंसले बनाए गए हैं, जो लगभग 1500 से 2000 पक्षियों के रहने के लिए उपयुक्त हैं।
  4. इस बर्ड हाउस का डिज़ाइन गुजरात के सिरपुर से आए विशेषज्ञों ने तैयार किया है।
  5. निर्माण कार्य का लगभग 90% हिस्सा पूरा हो चुका है।
  6. बर्ड हाउस के नीचे एक प्लेटफॉर्म भी तैयार किया जाएगा, जहां पक्षियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था होगी।
  7. इस अनोखी पहल में लगभग 10 लाख रुपये का खर्च आया है।
  8. बर्ड हाउस का निर्माण केवल सात दिनों में पूरा किया गया।
  9. गौ सेवा समर्पण समिति के गोपाल सुल्तानिया ने बताया कि यह प्रोजेक्ट पक्षियों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
  10. बचपन में हर सुबह पक्षियों की चहचहाहट सुनने वाले गोपाल सुल्तानिया ने शहर के बदलते माहौल के कारण पक्षियों की घटती संख्या पर चिंता जताई थी।
  11. उन्होंने बताया कि शहर के विकास के कारण जंगलों की कटाई और हरियाली के घटने से पक्षियों ने दुर्ग छोड़ दिया था।
  12. इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने बर्ड हाउस का सपना देखा, जिसे अब साकार किया गया है।
  13. बर्ड हाउस के निर्माण के साथ ही उसी स्थान पर एक गौशाला भी तैयार की जा रही है।
  14. सुल्तानिया ने बताया कि पक्षियों की वापसी से शहर में फिर से प्राकृतिक संतुलन बहाल होगा।
  15. इस पहल से न सिर्फ पक्षियों को आश्रय मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
  16. स्थानीय लोग इस बर्ड हाउस को देखने के लिए उत्साहित हैं।
  17. पक्षी प्रेमियों ने समिति के इस प्रयास की खूब सराहना की है।
  18. बर्ड हाउस के निर्माण के बाद पक्षियों की संख्या में धीरे-धीरे इजाफा होने की उम्मीद है।
  19. यह बर्ड हाउस पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
  20. इस पहल के जरिए दुर्ग में पक्षियों की चहचहाहट फिर से सुनाई देगी।

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