नई दिल्ली: सरकार अगले पांच वर्षों में 50 हवाई अड्डा विकास परियोजनाओं को शुरू करने की योजना बना रही है।

यह महत्वाकांक्षी पहल देश भर में हवाई संपर्क को बढ़ावा देने और विमानन बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से की जा रही है। नागरिक उड्डयन सचिव वुमलुनमांग वुअलनाम ने यह जानकारी दी।

सचिव ने बताया कि विमानन पारिस्थितिकी तंत्र को समग्र रूप से विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें एयरलाइनों का समर्थन करना और उड़ान प्रशिक्षण संगठनों का विस्तार करना शामिल है। सरकार का लक्ष्य है कि इन परियोजनाओं के माध्यम से छोटे शहरों और कस्बों को भी हवाई मार्ग से जोड़ा जा सके, जिससे क्षेत्रीय संपर्क में सुधार होगा।

इन 50 हवाई अड्डा विकास परियोजनाओं में नए हवाई अड्डों का निर्माण, मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार और आधुनिकीकरण, और हवाई अड्डों पर यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाना शामिल है। सरकार का मानना है कि यह निवेश देश के आर्थिक विकास को गति देगा और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।

वुअलनाम ने यह भी कहा कि सरकार विमानन क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत, हरित विमानन प्रौद्योगिकियों को अपनाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।

सरकार का ध्यान न केवल बुनियादी ढांचे के विकास पर है, बल्कि कुशल कार्यबल तैयार करने पर भी है। इसके लिए, उड़ान प्रशिक्षण संगठनों को मजबूत किया जा रहा है ताकि अधिक पायलटों और विमानन पेशेवरों को प्रशिक्षित किया जा सके।

इन परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण विभिन्न स्रोतों से किया जाएगा, जिसमें सरकारी बजट और निजी क्षेत्र का निवेश शामिल है। सरकार का मानना है कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल इन विकास परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह पहल देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करेगी, जिससे व्यापार, पर्यटन और लोगों की आवाजाही आसान हो जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि भारत का विमानन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल करे।

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