सिंधु जल संधि को निलंबित करने से फिलहाल जल प्रवाह का अस्थायी विनियमन संभव हो सकेगा।

यह कदम भारत को संधि के प्रावधानों से हटे बिना, कुछ समय के लिए अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सिंधु नदी के पानी के उपयोग को प्रबंधित करने की अनुमति देगा।

यह अस्थायी व्यवस्था विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में स्थित सलाल और बगलीहार जैसी जलविद्युत परियोजनाओं के संचालन के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। सलाल परियोजना का प्रबंधन राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा निगम (एनएचपीसी) द्वारा किया जाता है, जबकि बगलीहार जम्मू और कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अधीन है। इन परियोजनाओं को जल की उपलब्धता और प्रवाह में बदलाव के कारण अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

सिंधु जल संधि के निलंबन से भारत को इन परियोजनाओं के लिए जल प्रवाह को अनुकूलित करने और ऊर्जा उत्पादन को सुचारू बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह निलंबन एक अस्थायी उपाय है और भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल के स्थायी प्रबंधन के लिए आगे बातचीत और राजनयिक प्रयासों की आवश्यकता होगी।

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