सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना।

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने एक वकील संजय राठौड़ की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, जिन्हें अदालत कक्ष के अंदर एक महिला न्यायाधीश के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। शीर्ष अदालत की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 26 मई के फैसले के खिलाफ दायर संजय राठौड़ की अपील पर विचार करने से मना कर दिया, जो न्यायपालिका की गरिमा और सम्मान को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले से संबंधित है जिसमें अधिवक्ता संजय राठौड़ को एक महिला न्यायाधीश के प्रति उनके अशोभनीय आचरण और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने के लिए दोषी पाया गया था। इस तरह का व्यवहार अदालत की अवमानना माना जाता है और न्यायिक प्रक्रिया में गंभीर बाधा उत्पन्न करता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस गंभीर कदाचार का कड़ा संज्ञान लिया था और उचित कानूनी कार्रवाई की थी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस अपील को स्वीकार न करने का निर्णय न्यायपालिका की अथॉरिटी और उसके अधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह के अपमानजनक व्यवहार के प्रति शून्य सहिष्णुता का स्पष्ट संदेश देता है। यह फैसला अधिवक्ताओं के लिए भी एक कड़ी चेतावनी है कि उन्हें अदालत कक्ष के भीतर मर्यादा, सम्मान और उचित आचरण बनाए रखना चाहिए। यह न्यायिक प्रणाली की पवित्रता और उसकी स्वतंत्र कार्यप्रणाली में किसी भी बाधा को रोकने के प्रति न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।