भारत-चीन सीमा पर तनाव से लेकर विघटन तक.

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भीषण और हिंसक झड़प को कल जबकि चीनी पक्ष को भी अज्ञात संख्या में सैनिकों का नुकसान उठाना पड़ा था। यह टकराव भारत-चीन संबंधों के इतिहास में एक नया और दर्दनाक अध्याय लेकर आया था, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया था।

गलवान घाटी की यह झड़प वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले कई दशकों में हुई सबसे गंभीर सैन्य घटना थी। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर अभूतपूर्व सैन्य जमावड़ा हो गया था, जिससे युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। हालांकि, कई दौर की गहन सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद, दोनों पक्षों ने तनाव कम करने और कुछ विवादित घर्षण बिंदुओं से सैनिकों को धीरे-धीरे पीछे हटाने (disengagement) की प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करना था, जिसके लिए दोनों देशों के बीच लगातार संवाद जारी है।

पांच साल बाद भी, कुछ प्रमुख घर्षण बिंदुओं पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है, हालांकि अधिकांश क्षेत्रों में विघटन हो चुका है। दोनों सेनाएं एलएसी के पास भारी संख्या में तैनात हैं, जिससे स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। भारत लगातार सीमा पर शांति और यथास्थिति की बहाली पर जोर दे रहा है, और सीमा विवाद को कूटनीतिक तरीकों से हल करने की वकालत कर रहा है। गलवान संघर्ष भारतीय सेना के शौर्य, बलिदान और देश की संप्रभुता की रक्षा के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है, जिसकी यादें हमेशा ताजा रहेंगी।

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