मद्रास हाई कोर्ट का तमिलनाडु पुलिस को निर्देश.

यौन उत्पीड़न पीड़ितों की पहचान उजागर करने से बचें
चेन्नई, तमिलनाडु: मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस को यौन उत्पीड़न पीड़ितों की पहचान उजागर करने से सख्ती से बचने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का हवाला दिया है और चेतावनी दी है कि यदि इन निर्देशों का उल्लंघन किया गया तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला यौन उत्पीड़न पीड़ितों की निजता और सम्मान की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ित की पहचान का खुलासा करना न केवल कानूनी रूप से गलत है, बल्कि यह पीड़ित के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक पुनर्वास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। अक्सर मीडिया, पुलिस या जनता द्वारा अनजाने में या जानबूझकर पीड़ित की पहचान उजागर कर दी जाती है, जिससे उन्हें और अधिक आघात पहुंचता है और समाज में उन्हें कलंकित किया जाता है। अदालत ने पुलिस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के उन स्पष्ट दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है, जिनमें पीड़ित की गोपनीयता बनाए रखने की बात कही गई है।
इस आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों को बिना किसी अतिरिक्त सामाजिक दबाव या शर्मिंदगी के न्याय मिल सके। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि पुलिस विभाग का कोई भी अधिकारी इन निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मामला चलाया जाएगा, जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान है। यह निर्णय ऐसे संवेदनशील मामलों में पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायिक प्रणाली की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।