एक संस्था के नाम पर कलंक, बदहाली का आलम.

रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के मसपुर में स्थित बालक आश्रम अपनी बदहाल स्थिति के कारण एक संस्था के नाम पर ‘कलंक’ साबित हो रहा है। लगभग तीन दशक पहले बना यह आश्रम भवन आज देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुका है, जिससे यहाँ रहने वाले बच्चों के जीवन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह स्थिति सामाजिक कल्याण के दावों पर सवालिया निशान लगाती है।
यह आश्रम 1995 में 50 बच्चों को समायोजित करने की क्षमता के साथ स्थापित किया गया था, लेकिन वर्तमान में इसकी हालत बेहद खराब है। दीवारों पर काई जमी है, प्लास्टर उखड़ रहा है, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। ऐसी स्थिति में रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। यह स्पष्ट है कि इस संस्थान को पिछले कई सालों से उचित रखरखाव और वित्तीय सहायता नहीं मिली है, जिसके कारण यह अपनी मूल उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहा है।
स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों को इस आश्रम की दुर्दशा पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और गरिमापूर्ण वातावरण सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इस आश्रम की मरम्मत और उचित प्रबंधन के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए ताकि यहाँ के बच्चों को बेहतर जीवन मिल सके।