मुआवजे का फैसला सिर्फ रकम नहीं, इंसाफ की दिशा है.
हिरासत में मौतों पर जवाबदेही तय होना न्याय व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा
Ranchi : झारखंड सरकार का यह निर्णय केवल एक औपचारिक आदेश नहीं, बल्कि व्यवस्था की संवेदनशीलता का संकेत है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा पर मृत विचाराधीन बंदी की पत्नी को मुआवजा देने की स्वीकृति मानवाधिकारों की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बंदी बिशुलाल हेम्ब्रम की मौत ने कई सवाल खड़े किए थे और आयोग के हस्तक्षेप के बाद ही मामला अपने अंतिम निर्णय तक पहुंचा। मुआवजे की राशि भले ही दर्द की भरपाई न कर सके, पर यह परिवार की आर्थिक सहायता और न्याय की सुविचारित प्रक्रिया का हिस्सा है।
यह निर्णय भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और जेल व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक आवश्यक कदम माना जाना चाहिए।
