जनशताब्दी की देरी रेलवे की प्रबंधन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती.
रेक चक्र में गड़बड़ी से हर दिन यात्रियों को झेलनी पड़ती मुश्किलें
रांची : रेलवे देश की lifeline है, लेकिन पटना–रांची जनशताब्दी एक्सप्रेस की लगातार देरी इससे जुड़े प्रबंधन पर सवाल खड़े कर रही है। प्रतिदिन तीन से चार घंटे की देरी आम हो गई है। यह समस्या सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि व्यवस्था की कमजोरी का संकेत भी देती है। रेक चक्र को लेकर रेलवे की तैयारी सवालों में है। यदि रेक हावड़ा–पटना सेक्शन में समय पर नहीं लौटता, तो पूरी प्रणाली प्रभावित होती है।
इसके प्रभाव सबसे ज्यादा यात्रियों पर पड़ रहे हैं। ठंड के मौसम में घंटों इंतजार करना लोगों के लिए कठिन है। कई यात्री कहते हैं कि जब तक रेलवे समय सारणी का सख्ती से पालन नहीं करेगा, स्थिति नहीं सुधरेगी। बच्चों और बुजुर्गों के लिए देरी और अधिक कठिनाई पैदा करती है। कई यात्रियों की रोजमर्रा की योजनाएँ पटरी से उतर जाती हैं। व्यापारियों के काम में भी इसका असर साफ दिखता है। यह समस्या नई नहीं, परंतु बढ़ती जा रही है।
रेलवे को चाहिए कि रेक चक्र के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाए। यात्रियों की परेशानी को देखते हुए यह कदम बहुत जरूरी है। ट्रेन समय पर चले, यह उनकी बुनियादी अपेक्षा है। रेलवे को प्रबंधन में पारदर्शिता और तत्परता दिखानी चाहिए। लोगों को भरोसा चाहिए कि उनकी यात्रा सुरक्षित और समय पर होगी। उम्मीद है कि इस समस्या का स्थायी समाधान जल्द मिलेगा। यात्रियों का कहना है कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने।
